Home CBSE 8th Class हिंदी ( क्लास - VIII)

दीवानों की हस्ती

दीवानों की हस्ती

हम दीवानों की क्‍या हस्ती,
हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते जहाँ चले।

आए बनकर उल्लास अभी,
आँसू बनकर बह चले अभी,
सब कहते ही रह गए, अरे,
तुम केसे आए, कहाँ चले?

किस ओर चले? यह मत पूछो,
चलना है, बस इसलिए चले,
जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले,

दो बात कही, दो बात सुनी;
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए।
छककर सुख-दुख के घाटों को
हम एक भाव से पिए चले।

हम भिखमंगों की दुनिया में,
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले,
हम एक निसानी-सी उर पर,
ले असफलता का भार चले।

अब अपना ओर पराया क्‍या?
आबाद रहें रुकनेवाले!
हम स्वयं बँधे थे ओर स्वयं
हम अपने बंधन तोड चले।