भगवान के डाकिए
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती हैं।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता हैं।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता हैं।
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