दिए जल उठे
उत्तर:
स्थानीय कलेक्टर शिलिडी ने आदेश देकर सरदार पटेल को गिरफ़्तार करवाया। उसने निषेधाज्ञा लागू कर उन्हें गिरफ़्तार किया। परन्तु इसके पीछे उनका निजी बदला लेने की भावना थी। क्योंकि पिछले आंदोलन में उसे अहमदाबाद से भगा दिया गया था और वह बदला लेने की ताक में था।
उत्तर:
सरदार पटेल को गिरफ़्तार करके बोरसद की अदालत में लाया गया जहाँ जज के सामने उन्होंने अपना अपराध मान लिया। परन्तु अभी भी जज के लिए फैसला करना मुश्किल था कि वह क्या फैसला दे क्योंकि अपराध तो कोई था ही नहीं और गिरफ़्तार किया गया था तो फैसला तो देना ही था। वह किस धारा के तहत और कितनी सजा सुनाएँ इसलिए उसने आठ लाइन का फैसला देने में डेढ़ घंटा लगा दिया क्योंकि सरदार पटेल ने अपराध स्वयं स्वीकार कर लिया था।
उत्तर:
सरदार पटेल को तीन महीने की जेल हुई। इसके लिए उन्हें बोरसद से साबरमती जेल ले जाया जा रहा था। रास्ते में आश्रम पड़ता था। आश्रमवासी पटेल की एक झलक पाना चाहते थे इसलिए सड़क के किनारे खड़े हो गए। पटेल के आग्रह पर गाड़ी रोक दी गई और पटेल आश्रमवासियों से मिले। सड़क पर ही गांधी जी से भी उनकी बातचीत हुई जिसमें उन्होंने गांधी जी से कहा कि "मैं चलता हूँ अब आपकी बारी है"।
उत्तर:
गांधी जी एक बार रास गए। वहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ। वहाँ सबसे आगे रास लोग रहते हैं जो दरबार कहलाते हैं। एक तरह से ये राजा की तरह होते हैं। ये रियासत के मालिक होते हैं। गोपालदास और रविशंकर महाराज जो दरबार थे, वहाँ मौजूद थे। ये दरबार लोग अपना सब कुछ छोड़कर यहाँ आकर बस गए थे। उनका यह त्याग एवं हिम्मत सराहनीय है। गांधी जी ने इन्हीं के जीवन से प्रेरणा लेने को लोगों से कहा कि इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें।
उत्तर:
गांधी जी अपनी दांडी यात्रा पर थे। उन्हें मही नदी पार करनी थी। ब्रिटिश सरकार ने नदी के तट के सारे नमक भंडार हटा दिए थे। वे अपनी यह यात्रा किसी राजघराने के इलाके से नहीं करना चाहते थे। जब वे कनकपुरा पहुँचे तो एक घंटा देर हो गई। इसलिए गांधी जी ने कार्यक्रम में परिवर्तन करने का निश्चय किया कि नदी को आधी रात में समुद्र में पानी चढ़ने पर पार किया जाए ताकि कीचड़ और दलदल में कम से कम चलना पड़े। तट पर अँधेरा था। इसके लिए लोगों ने सूझबूझ से काम लिया और थोड़ी ही देर में हज़ारों दिए जल गए। हर एक के हाथ में दीया था। इससे अँधेरा मिट गया। दूसरे किनारे भी इसी तरह लोग हाथों में दीये लेकर खड़े थे। इस प्रकार कठिन परिस्थिति में सूझबूझ से काम लिया और उसका सामना किया। गांधी जी को रघुनाथ काका ने नाव में बिठाकर नदी पार करा दी।
उत्तर:
महिसागर नदी के दोनों किनारों पर हज़ारों लोग अपने हाथों में जलते दिये लेकर खड़े थे क्योंकि वे गांधी जी का और उनके साथियों का इंतज़ार कर रहे थे। उस समय अँधेरा था। गांधी जी को भी रोशनी की आवश्यकता थी। चारों ओर 'महात्मा गांधी की जय, सरदार पटेल की जय और जवाहर लाल नेहरु की जय के नारे गूँज रहे थे। इन्हीं नारों के बीच गांधी जी की नाव रवाना हुई।
उत्तर:
गांधी जी ने दांडी यात्रा को धर्मयात्रा का नाम दिया। रास्ते में कंकरीली, रेतीली सड़के पड़ेगी। इसलिए लोगों ने गांधी जी को आधी यात्रा कार से करने का आग्रह किया। परन्तु गांधी जी ने मना कर दिया और कहा धर्मयात्रा में निकलने वाले, किसी वाहन का प्रयोग नहीं करते। इसी प्रकार महीनदी तट पर करीब चार किलोमीटर दलदली ज़मीन पर गांधी जी को चलना पड़ा। लोगों ने उन्हें कंधे पर उठाने की सलाह दी पर गांधी जी ने कहा यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करुँगा।" इस कथन से गांधी जी के साहस, देशप्रेम, कष्ट सहने की क्षमता आदि गुणों का पता लगता है।
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार के अफसरों का कहना था कि गांधी जी अचानक मही नदी के किनारे नमक बनाकर कानून तोड़ देंगे परन्तु वरिष्ठ अधिकारियों का मानना था कि गांधी जी अचानक चुपके से कोई काम नहीं करते। फिर भी ब्रिटिश सरकार कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती थी। इसलिए ऐहतियाती तौर पर नदी के तट से सारे नमक भंडार हटा दिए और उन्हें नष्ट करा दिया।
उत्तर:
गांधीजी के नदी पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर खड़े रहे क्योंकि सत्याग्रहियों को भी पार जाना था और वे कुछ लोगों का इंतजार कर रहे थे, जिन्हें नदी पार करानी होगी।
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