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2.ईडिगाह

2.ईडिगाह

प्रशन

1.पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम किसके मिलता है|

ज. पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम पेड़ों से मिलता है|

2.खुशबु भरे फूल हमें देते हैं?

ज. खुशबु भरे फूल हमें क्या देते हैं|

3.'हम भी तो कुछ देना सीखें' - कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?

ज.प्रकृति में स्थित पेड़ - पौंदे सब कास्ट सहकर प्राणियों को सुख पहुंचने में तत्पर रहते हैं| परोपकार भावना से वे सब कुछ देते हैं| हम मानवों को भी उनसे कुछ देना सिखने का सन्देश मिलता है| इसलिए कवि ने ऐसा कहा होगा|

लेखक परिचय

प्रेमचंद का जन्म एक गरीब घराने में कशी में 31  जुलाई, 1880  को हुआ| इनके असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था| इन्होने टयुशन पढ़ाते हुए मैट्रिक तथा नौकरी करते हुए बी. ए. पास किया| इन्होने लगभग एक दर्जन उपन्यास और लगभग तीन सौ कहानियों की रचना की| इन्हे "उपन्यास सम्राट" भी कहा जाता है|

इनकी कहानियाँ मानसरोवर शीर्षक से ात खंडों में संकलित हैं| गोदान, गबन, सेवासदन, निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि, कायाकल्प, प्रतिज्ञा , मंगलसूत्र आदि इनके प्रमुख उपन्यास हैं| इनकी प्रमुख कहानियों में पंचपरमेस्वर, बड़े घर की बेटी, कफ़न आदि प्रमुख हैं| उनका निधान सनू 1936 में हुआ|

शब्दार्थ

ईद = मुसलमानों का एक त्यौहार

सुहावना = सुन्दर, भला लगनेवाला

मनोहर = मन को हरने वाला,

अजीब = अद्भुत

हरियाली = हरे - भरे पेड़ - पौधौं

का समूह

रौनक = शोभा, कांति

आसमान = आकाश

लालिमा = ठंड

संसार = दुनिया

बधाई = मुबारक बातें

प्रसन्न = खुश

गिनती = हिसाब लगाना

अनगिनत = जिनकी गिनती न हो

बिगुल = तुरही के ढंग का बजा

बीमारी = रोग

गोदी = आंचल

अभागिन = बाद नसीब

कोठरी = छोटा कमरा

डर = भय

कचोट = चुभना

छाले = फफोले

मेला = उत्साव

दमन = पहाड़ के नीचे का जमीन

अदालत = न्यायलय

धावा = आक्रमण

खुशबु = सुगंध

चिमटा = तवे पर रोटी को पकड़ने का औजार

दुआएँ = आशीर्वाद

पड़ोस = घर के पास का घर

कीमत = मूल्य

कंधा = भुजा

बंदूक = बंदूख

शान = इज्जत

अकड़ना = एठना

संगी = दोस्त

मेल लेना = खरीदना

दोपहर = दुपहर

क्रोध = गुस्सा

गदगद होना = प्रेमातिरेक से गाला भर आना

ख्याल = विचार

कलेजा = दिल

पगला = पागल

ललचाना = अधीर करना

व्याकरणामश

विलोम शब्द

प्रसन्न x अप्रसन्न

बहुत x कम

खुशबूदार x बदबूदार

क्रोध x शांत

प्यार x नफरत

शीतल x ऊष्णता

गुण x दोष

पुराणी x नयी

अंदर x बहार

सदभाव x दुर्भाव

प्रेम x द्वेष

स्वाद x स्वाद रहित

प्रभात x सांय

आदर x अनादर

अच्छी x बुरी

आशा x निराशा

गाँव x शहर

अपराधी x निरपराधी

विवेक x अविवेक

रस x नीरस

भोला x होशियार

त्याग x स्वार्थ

संधि

मनोहर = मनः + हर

वयोवृदध = वयः + वृदध

समास

दुबला - पतला =दुबला और पतला

एक - दो = एक और दो, एक या दो, एक व दो

चार - पाँच = चार या पाँच

पर्यायवाची शब्द

अजीब = विचित्र, अभ्दुत, अनेखा, अप्रतिम

सूर्य = सूरज, रवि, भास्कर, दिनकर, आदित्य, भानु

संसार = जग, जगत, दुनिया, विस्व, प्रपंच

प्रभात = सुबह, प्रातः काल, भोर

नजर = निगाह, दॄष्टि, चितवन

दिन = दिवस, वासर, वार, अहन

वचन

पूरा - पुरे

खिलौना - खिलौने चीज - चीजें

पतला - पतले

आशा - आशाएँ

किरण - किरणे

प्यार - प्यारे

दुकान - दुकाने

पैसा - पैसे

औरत - औरतें

लोहा - लोहे

सारा - सारे

मेला - मेले

हमरात - हमारते

टोली - टोलियाँ

तैयारी - तैयारियाँ

दादी - दादिया

रूपया - रुपये

गेंद - गेंदे

टोपी - टोपियाँ

बच्चा - बच्चे

सामग्री - सामग्रियाँ

धोबिन - धोबिने

चिमटा - चिमटे

लड़का - लड़के

दुआ - दुआएँ

दिल - दिल

बुढ़िया - बुड़ियाँ

बंदूक - बंदूके

रोटी - रोटियाँ

मिटाई - मिठाईयाँ

जूता - जूते

दुबला -दुबले

लड़का - लड़के

दाना - दाने

छाला - छाले

भड़कीला - भड़कीले

रेवाड़ी - रेवड़ियाँ

उँगली - उँगलियाँ

आवाज - आवाजे

बूंद - बुँदे

माथा - माथे

आँचल - आँचल

कंधा - कंधे

प्रत्यय

नैतिक - इक

भड़कीले - ईले

ललचाई - ई

मार्मिक - इक

भारतीय - ईय

खुशबूदार - दार

दुकानदार - दार

अपराधी - ई

अब्बाजान - जान

धोबिन - इन

अकड़ता - ता

संवेदनशील - शील

उपसर्ग

प्रतिबिंब - प्रति

अभागिन - अ

दोपहर - दो

अनगिनत - अन

बेसमझ - बे

परलोक - पर

सभ्दाव - सद

मुहावरे

परलोक सिधारना = मृत्यु प्राप्त होना

भेट हो जाना = अर्पित होना

धावा बोलना = आक्रमण करना

चकनाचूर होना = टुकड़े - टुकड़े होना

कलेजा मजबूत करना = सहस करना, हिम्मत करना

अफ़सोस करना = पछताना, पश्चात्ताप करना

मौन रहना = शांत रहना

मोल लेना = खरीदना

दिल कचोटना = बहुत दुःखी होना

गदगद होना = बहुत प्रसन्न होना, बहुत खुश होना

प्रशन

1)ईद के दिन का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए|

ज. ईद मुसलमाओं का पवित्र त्यौहार है| अनेक कठिन नियमों का पालम करके मुसलमा लोग रमजान महीने भर तीस रोज हैं| आज ईद आयी है| आज का सूर्योदय बहुत मनोहर और सुखदायी है| प्रकृति के पेड़ - पौंधे सब हरियाली से भरे ख़ुशी से झूम रहे हैं| खित्तों में सुनहरा रोशन है| आकाश में भी विचित्र लालिमा फैली है| सूरज भी बहुत प्यारा और शीतल है| ऐसा लगता है की स्वयं सूरज भी ईद की शुभकामनाएँ दे रहा है| सारा वातावरण सुखदायक और मनमोहक है|

2)हामिद गरीब है फिर भी वह ईद के दिन अन्य लड़कों से अधिक प्रसन्न है, क्यों ?

ज. भोली सुरतवाला हामिद चार - पाँच साल का दुबला - पतला लड़का है| उसके माँ - बाप दोनों बीमार हो, चल बेस थे| हामिद तो अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लालन - पालन में है| उसके पाँव में जूते नहीं है| सिर पर गोटा काला पड़ा पुराणी टोपी है| हामिद यही आशा में है की उसके बाप रुपये कमाने गए हैं और माँ अल्लाह के यहाँ से उसके लिए अच्छी चीजें लाने गयी है| आशा तो बही चीज और प्यारी होती है| इसी आशा से हामिद बहुत प्रसन्न है|

3)हामिद की ख़ुशी का कारन क्या हो?

ज. हामिद अपने दादी के लिए चिमटा लेने का खेला करता है| क्योंकि जब दादी तवे से रोटियाँ उतारती है तो हाथ जल जाते हैं| अगर चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह प्रसन्न होगी| हजारों दुआएँ देती रहेंगी| उनके हाथ कभी नहीं जलेंगे| फिर पड़ोस की औरतों को दिखाएगी| सारे गाँव में चर्चा होने लगेगी की हामिद कितना अच्छा लड़का है| यही सोच हामिद की ख़ुशी का कारण है| 

4)हामिद चिमटा क्यों खरीदना चाहता था?

ज. हामिद की दादी के पास चिमटा नहीं है| जब तवे से रोटियाँ उतारती थी तो हाथ जल जाते थे| अगर वह चिमटा खरीद ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी, उनकी उंगलियां भी नहीं जलेगी| उसकी प्रशंसा करके उसे आशीष देगी| ऐसा सोचकर हामिद चिमटा खरीदना चाहता था|

5)हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों के प्रति दादी अम्मा की भावनाएँ कैसी थी|

ज. अपनी दादी अम्मा के प्रति प्रेम और आदर भाव रखनेवाले हामिद उसकी तकलीफ दूर करने चिमटा खरीद लाया| इसे खरीदने के लिए उसने अपनी आशा और आवश्यकता को भी छोड़ दिया| पोते का यह प्यार देखकर दादी अम्मा गदगद है गयी| उसके सोचा की मेरे इस छोटो बच्चे में कितना - त्याग कितना सद्भाव और कितना विवेक है| दुसरो को खिलौने लेते और मिठाई कहते देखकर इसका मन कितना ललचाया होगा? इस नादान बच्चे को मुझे पर कितना प्रेम और कितना स्नेह है| इस तरह भावनाएँ थी दादी अम्मा में|

अ) प्रशनों के उत्तर दीजिए|

1)"ईदगाह" कहानी के कहानीकार कौन हैं? इनकी रचनाओं की विशेषता क्या है?

ज. "ईदगाह" आदर्शयुक्त, प्रभावशाली कहानी है| आधुनिक हिंदी के सपल कहानीकार, उपन्यास सम्राट "मुंशी प्रेमचंद" जी इसके लेखक हैं| ये आदशनमुख यथार्थवादी कहानीकार हैं| इन्होने लगभग 300  कहानियां लिखी हैं| इनकी रचनाओं में खासकर भारत के ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण, नैतिक मूल्यों का स्पष्टीकरण आदि का महत्त्व ही अधिक दिखाई पडता है| इनकी कला में कृत्रिमता नहीं है| जीवन के तथ्यों को सुलझे हुए शब्दों में सुत्ति रूप से रखने में सिद्धहस्त हैं| निम्न कोटि के लोगों में मानवता के दर्शन करने में आप सफल हुए हैं| अनेक सामाजिक समस्याओं के ऊपर प्रकाश डाला है| आपकी भाषा चलती हुयी मुहावरेदार हिंदी है|

2)बालक प्रायः अलग स्वाभाव के होते हैं| कहानी के आधार पर बताइए की हामिद का स्वाभाव कैसा है|

ज. बालक प्रायः विभिन्न स्वाभाव के होते हैं| यह बात तो मणि है और सच भी है| जन्मतः कोई बच्चा बुरा स्वभाववाला नहीं होती है| वैसे ही बच्चे में जन्मसिध्द गुणों का प्रभाव भी रहता है| कहानी के आधार पर हामिद का स्वाभाव एक दम अच्छा और उत्तम था| अपने लिए नहीं, अपने के लिए सोचना और जो मिले, उसीसे संतृष्ट रहने का महान स्वाभाव वाला बालक था हामिद|

आ) हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए|

1.हामिद के पास पचास पैसे थे | (नहीं)

2.अमीना हामिद की मौसी थी | (नहीं)

3.मोहसिन भिरती खरीदता है| (हाँ)

4.हामिद खिलौने खरीदता है| (नहीं)

इ) रिस्क स्थानों की पूर्ति कीजिए|

1.अमीना का क्रोध तुरंग स्नेह में बदल गया|

2.कीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया|

3.हामिद चिमटा लाया|

4.महमूद के पास बारह पैसे थे|

ई) अनुच्छेद पढ़कर दो प्रश्न बनाइए|

ज. माता - पिता की सेवा में कौन तत्पर था?

रेखांकित शब्द का संधि विच्छेद कीजिए |

अ) हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों?

ज. अपने लिए नहीं, अपनों के लिए सोचने का महँ स्वाभाव था हामिद का | ऐसे ही गन से उसने अपनी दादी का कष्ट दूर करने चिमटा खरीद लिया|

मेरा भी हामिद के जैसा स्वाभाव ही है| मैं भी अपने लिए नहीं, अपनों को सुख व आनंद पहुँचानेवाला हूँ| इसलिए मेरे पास जितना धन है, उसके माता - पिता, भाई - बहन और  बुजुर्ग़े के लिए आवश्यक जो चीजे हैं उनके खरीदकर उनको देता हूँ| उनको सुखी रखना ही मेरा मुख्य आशय है|

आ) 'ईदगाह' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए|

ज. "ईदगाह" नमक इस कहानी का लेखक हिंदी के उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद हैं| आप की यह कहानी आदर्शयुक्त, यथार्थवादी भावनाओं से भरपूर है| इस कहानी के जरिये लेखक ने मानव जीवन में नैतिक मूल्यों का विकास और बड़े बुजुर्ग़े के प्रति आदर भावना रखने की बात पर जोर दिया है| भारतीय संस्कृति की महानता का सखीभुत है ेड़गाह कहानी|

पवित्र रमजान मसोमके तीस रोजों के बाद आज "ईद" आयी है| सारा वातावरण सुन्दर और सुखदायी है| ईदगाह जाने की तैयारिया होने लगी हैं| खासकर बच्चे बहुत प्रसन्न हैं| सबको पैसे मिले हैं| वे मन चाही चीजें खरीद लेने की ख़ुशी में हैं| इन लड़कों में चार - पाँच साल का, भोली सूरत का, दुबला - पतला हामिद भी है| उसके माँ - बाद दोनों बीमारी के कारण मर गये थे| बूढी दादी अमीना, हामिद की देखभाल कर रही है|

हामिद तो ईद की खुशिया मना रहा है| उधर दादी अमीना अपनी गरीबी पर आँसू बहा रही है| घर में खाने कुछ नहीं है| लेकिन हामिद इन सबसे बेखबर है| अपनी दादी से वह कहता है की तुम डरना नहीं, मैं सबसे पहले आऊंगा| अमीना तो चिंतित है की सब बालक अपने पिता के साथ जा रहे हैं| यह लड़का तो अकेला है| हामिद भीड़ में कही खो गया तो क्या होगा ? तीन कोस का रास्ता है| जूते भी नहीं, हैं| पैरों में चले पद जायेंगे|

अमीना ने हामिद को मिठाईयाँ और खिलौने खरीदने तीन पैसे दिये| ग्रामीणों की टोली ईदगाह की और चल पडी| बच्चे सबसे आगे चल रहे हैं| शहर में प्रवेश करके बच्चे हर चीज को आश्चर्य से देखने लगे| ईदगाह आया| ईदगाह में कार्यक्रम पूरा हुआ| लोग एक दूसरे से गले मिलकर अपना प्रेम दिखा रहे हैं| बाद बच्चे गुखणं पर धावा बोल देते हैं| वे सब मनचाही चीजें खरीदकर आनंद मना रहे हैं| हामिद तो चुपचाप खड़ा सबको देखने लगा|

उसके मित्र महमूद, मोहसिन, नूर और सम्मी ने अपने मनपसंद खिलौने खरीद लिये| हामिद भी खिलौना खरीदना चाहता है| लेकिन उसके पास सिर्फ़ तीन पैसे हैं| इसके बाद सब मित्र मिठाईयाँ खरीदकर मजे से खाने लगे| हामिद तो अपने आप को रोके सब देखा रहा है| उसके मित्रों ने उसका मजाक भी उडाया पर वह तो मौन ही रहा|

रस्ते में लोहे की दुकानें दिखीयी पडी हैं| हामिद ने तीन पैसे में एक चिमटा खरीद लिया| क्योंकि उसकी दादी अमीना रोटी तवे से उतारती है तो उसकी उंगलियाँ जलने लाजी हैं| इसलिए दादी का कष्ट दूर करके उसे सुख पहुँचाने के ख्याल से चिमटा लिया| इसके लिये उसके मित्र मजाक भी उडाते हैं| घर पहुंचा गया तो दादी दौड़कर आयी और उसे प्यार करने लगी| हामिद के हाथ में चिमटा देखकर सर पीटने लगी| चिमटे के बारे में पूछ लिया तो हामिद ने कारण बताते कहा - तुम्हारे हाथ तवे से जल जा रहे हैं न इसलिए तुम्हारे लिए चिमटा ले आया| यह बात सुनकर अमीना पिघल गयी और उसका मन गदगद हो गया|

विशेषता : अपने सुख व ख़ुशी के लिए सोचना, साधारण बात है| अपने बुजुर्ग और बड़े लोगों का आदर करते, उनको सुख और आराम पहुँचाने का यत्न करना महँ कार्य है|

इ) हामिद और उसके मित्रों के बीच हुयी बातचीत की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए|

ज. रमजान के तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है| सारा वातावरण निराला है| ईदगाह जाने की तैयारियाँ होने लगी हैं| लड़के सबसे अधिक प्रसन्न हैं|  हामिद, महमूद, मोहसिन, नूर, सम्मी आदि दोस्त हैं| महमूद के पास बारह पैसे हैं, मोहसिन के पास पंद्रह पैसे हैं, हामिद के पास तो सिर्फ़ तीन पैसे हैं| अन्य लड़कों की पास भी पैसे हैं| सब ईदगाह जाते हैं| वहाँ नमाज़ ख़त्म होने के बाद बाज़ार जाते हैं| मिठाई, खिलौनों की दुखानों पर धावा होता है| मित्र सभी बातचीत कर रहे हैं|

महमूद (पैसे गिनाते) (एक - दो .....दस - बारह पैसे|) मेरे पास बारह पैसे हैं| मैं मिठाईयाँ और खिलोने खरीदूँगा|

मोहसिन : (पैसे गिनकर) मेरे पास पंद्रह पैसे हैं| इनसे खिलौने, मिठाईयाँ, बिगुल, गेंद और कई चीजें खरीदूँगा|  

महमूद और मोहसिन : (हामिद से) तुम्हारे पास कितने पैसे हैं?

हामिद : मेरे पास तीन पैसे हैं? (हामिद दूर में खडा खिलौनों को देख रहा है|)

महमूद : अरे मोहसिन तुम कौन सा खिलौना खरीदना चाहते हो?

मोहसिन : अरे महमूद यह देखो| भिस्ती सुन्दर है| मैं उसे लेता हूँ|

महमूद और अन्य मित्र : वाह! बहुत अच्छा है| ले लो|

मोहसिन : महमूद| तुम्हे कौनसा खिलौना पसंद है?

महमूद : देखो यहाँ के सब खिलौनों में वह सिपाई का खिलौना है| कैसा है ? मैं लेना चाहता हूँ|

मोहसिन : बहुत अच्छा है| ज़रूर ले लो| (महमूद सिपाही खरीदता है)

(महमूद, मोहसिन, दोनों नूर और सम्मी से पूछते हैं|)

महमूद : मोहसिन, यार नूरे, सम्मी आप दोनों क्या - क्या पसंद हैं? देखिए|

नूर : दोस्तों इन सब खिलौनों में मुझे यह देखो यह वकील का खिलौना पसंद आया| मैं इसे खरीदना चाहता हूँ| अरे सम्मी तुम क्या लोगे?

सम्मी : वैसे तो यहाँ सब तरह के खिलौने हैं| हाँ, मुझे तो यह धोवन पसंद आया है| आप सब भी देखिए|

सब : (देखकर) हाँ, हाँ बहुत सुंदर है| तुम इसे ले लो|

(सब अपने - अपने खिलौनों को चाव से देखनेवाले हामिद से पूछते है|)

सब : अरे हामिद| दूर क्यों खडा है तुमको कोई खिलौना पसंद नहीं आया क्या? हाँ भूल गये| तुम्हारे पास तो तीन ही पैसे हैं न| चलें| वहाँ मिठाईयों की दुकानें हैं| (सब वहाँ पहुंचते हैं|)

ई) बड़े - बुजुर्ग़े के प्रति आदर, श्रध्दा और स्नेह भावनाओं का महत्य अपने शब्दों में बताइए|

ज. छोटे बच्चे को अपने बड़े - बुजुर्ग़े के प्रति आदर, श्रध्दा और स्नेह भावना रखना चाहिए|

*अपने बड़े बुजुर्ग़े के बारे में सभी को बताना चाहिए|

*उनकी महानता का विवरण सभी को बताना चाहिए|

*कहानी, गाने, पघ आदि बडों से सुनकर सीखना चाहिए|

*बहार जाते समय वे साथ आने के लिए बुलाते हैं, तो उनके साथ जाना चाहिए|

*बडों के प्रति आदर रखते हुए उनसे प्रेम से बातें करना चाहिए|

*बड़ों की बातों का धिक्कार नहीं करना चाहिए|

*उन पर चिडचिडाहट नहीं  दिखाना चाहिए| उनको समय के अनुसार दवाएँ देना चाहिए|

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए|

1.ईद, प्रभात, वृक्ष (पर्याय शब्द लिखिए|)

ज.*ईद : त्यौहार, पर्व, उत्सव्

*प्रभात : प्रातः काल, सबेरा, सुबह

*वृक्ष : पेड़, तरु, पादप, दरख्त

2.मिठाई, चिमटा, सड़क (वचन बदलिए)

ज. मिठाई : मिठाईयाँ

चिमटा : चिमटे

सड़क : सडकें

आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए|

1.बेसमझ, सदभाव, निकर (उपसर्ग पहचानिए|)

ज. बेसमझ - बे

सदभाव - सत् 

निकर - नि

2.दुखानदार, गरीबी (प्रत्यय पहचानिए|)

ज. दुकानदार - दार

गरीबी - ई

इ) इन्हें समजिये और अभ्यास कीजिए|

1.हामिद ने कहा कि घर की देखरेख दादी ने की|

ज.

ई) पाठ में आये मुहावरे पहचानिए और अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग कीजिए|

*भेंट हो जाना - अर्पित होना

                      मीरभाई ने अपने आप को कृष्ण को अर्पित किया|

*पीली पड़जाना - कांतिहीन होना

                       नींद के की से चेहरा कांतिहीन हो जथा है|

*दिल कचोटने - दुःखी होना

                     रिश्तेदार के मर जाने पर हमें दुःख होता है|

*ख़त्म हो जाना - समाप्त होना

                      नियम का पालन न करने से परिश्रम समाप्त हो जाता है|

*गले मिलना - आलिंगन करना

                  ईद के दिन मुस्लमान भाई आलिंगन करके मुबारक बात देते हैं|

*चकना चूर हो जाना - बुरी तरह नाश होना

                             राम का भाई व्यापर में बुरी तरह से नाश हो गया|

*दिल बैठ जाना - अधीर होना

*कलेजा मजबूत - अर्थ वार्षिक परीक्षा में सही अंक न मिलने पर मैं अधीर हो गया|

*करके कहना - दृढता से कहना \ होना

                     म्हणत का काम होने पर भी हमें दृढता से बच्चों को करने के लिए कहना चाहिए| उन्हें हौसला देना चाहिए|

*छाती पीटलेना   -  दुःखी होना

                        किसी काम के असफल होने पर हमें दुःखी होना नहीं चाहिए| फिर से प्रयत्न करना चाहिए|

*मन गदगद हो जाना - पुलकित होना

                              बिना किसी खबर के मेरे पापा के आगमन से मेरा मन पुलकित हो उठा|