2.ईडिगाह
1.पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम किसके मिलता है|
ज. पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम पेड़ों से मिलता है|
2.खुशबु भरे फूल हमें देते हैं?
ज. खुशबु भरे फूल हमें क्या देते हैं|
3.'हम भी तो कुछ देना सीखें' - कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
ज.प्रकृति में स्थित पेड़ - पौंदे सब कास्ट सहकर प्राणियों को सुख पहुंचने में तत्पर रहते हैं| परोपकार भावना से वे सब कुछ देते हैं| हम मानवों को भी उनसे कुछ देना सिखने का सन्देश मिलता है| इसलिए कवि ने ऐसा कहा होगा|
प्रेमचंद का जन्म एक गरीब घराने में कशी में 31 जुलाई, 1880 को हुआ| इनके असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था| इन्होने टयुशन पढ़ाते हुए मैट्रिक तथा नौकरी करते हुए बी. ए. पास किया| इन्होने लगभग एक दर्जन उपन्यास और लगभग तीन सौ कहानियों की रचना की| इन्हे "उपन्यास सम्राट" भी कहा जाता है|
इनकी कहानियाँ मानसरोवर शीर्षक से ात खंडों में संकलित हैं| गोदान, गबन, सेवासदन, निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि, कायाकल्प, प्रतिज्ञा , मंगलसूत्र आदि इनके प्रमुख उपन्यास हैं| इनकी प्रमुख कहानियों में पंचपरमेस्वर, बड़े घर की बेटी, कफ़न आदि प्रमुख हैं| उनका निधान सनू 1936 में हुआ|
ईद = मुसलमानों का एक त्यौहार
सुहावना = सुन्दर, भला लगनेवाला
मनोहर = मन को हरने वाला,
अजीब = अद्भुत
हरियाली = हरे - भरे पेड़ - पौधौं
का समूह
रौनक = शोभा, कांति
आसमान = आकाश
लालिमा = ठंड
संसार = दुनिया
बधाई = मुबारक बातें
प्रसन्न = खुश
गिनती = हिसाब लगाना
अनगिनत = जिनकी गिनती न हो
बिगुल = तुरही के ढंग का बजा
बीमारी = रोग
गोदी = आंचल
अभागिन = बाद नसीब
कोठरी = छोटा कमरा
डर = भय
कचोट = चुभना
छाले = फफोले
मेला = उत्साव
दमन = पहाड़ के नीचे का जमीन
अदालत = न्यायलय
धावा = आक्रमण
खुशबु = सुगंध
चिमटा = तवे पर रोटी को पकड़ने का औजार
दुआएँ = आशीर्वाद
पड़ोस = घर के पास का घर
कीमत = मूल्य
कंधा = भुजा
बंदूक = बंदूख
शान = इज्जत
अकड़ना = एठना
संगी = दोस्त
मेल लेना = खरीदना
दोपहर = दुपहर
क्रोध = गुस्सा
गदगद होना = प्रेमातिरेक से गाला भर आना
ख्याल = विचार
कलेजा = दिल
पगला = पागल
ललचाना = अधीर करना
प्रसन्न x अप्रसन्न
बहुत x कम
खुशबूदार x बदबूदार
क्रोध x शांत
प्यार x नफरत
शीतल x ऊष्णता
गुण x दोष
पुराणी x नयी
अंदर x बहार
सदभाव x दुर्भाव
प्रेम x द्वेष
स्वाद x स्वाद रहित
प्रभात x सांय
आदर x अनादर
अच्छी x बुरी
आशा x निराशा
गाँव x शहर
अपराधी x निरपराधी
विवेक x अविवेक
रस x नीरस
भोला x होशियार
त्याग x स्वार्थ
मनोहर = मनः + हर
वयोवृदध = वयः + वृदध
दुबला - पतला =दुबला और पतला
एक - दो = एक और दो, एक या दो, एक व दो
चार - पाँच = चार या पाँच
अजीब = विचित्र, अभ्दुत, अनेखा, अप्रतिम
सूर्य = सूरज, रवि, भास्कर, दिनकर, आदित्य, भानु
संसार = जग, जगत, दुनिया, विस्व, प्रपंच
प्रभात = सुबह, प्रातः काल, भोर
नजर = निगाह, दॄष्टि, चितवन
दिन = दिवस, वासर, वार, अहन
पूरा - पुरे
खिलौना - खिलौने चीज - चीजें
पतला - पतले
आशा - आशाएँ
किरण - किरणे
प्यार - प्यारे
दुकान - दुकाने
पैसा - पैसे
औरत - औरतें
लोहा - लोहे
सारा - सारे
मेला - मेले
हमरात - हमारते
टोली - टोलियाँ
तैयारी - तैयारियाँ
दादी - दादिया
रूपया - रुपये
गेंद - गेंदे
टोपी - टोपियाँ
बच्चा - बच्चे
सामग्री - सामग्रियाँ
धोबिन - धोबिने
चिमटा - चिमटे
लड़का - लड़के
दुआ - दुआएँ
दिल - दिल
बुढ़िया - बुड़ियाँ
बंदूक - बंदूके
रोटी - रोटियाँ
मिटाई - मिठाईयाँ
जूता - जूते
दुबला -दुबले
लड़का - लड़के
दाना - दाने
छाला - छाले
भड़कीला - भड़कीले
रेवाड़ी - रेवड़ियाँ
उँगली - उँगलियाँ
आवाज - आवाजे
बूंद - बुँदे
माथा - माथे
आँचल - आँचल
कंधा - कंधे
नैतिक - इक
भड़कीले - ईले
ललचाई - ई
मार्मिक - इक
भारतीय - ईय
खुशबूदार - दार
दुकानदार - दार
अपराधी - ई
अब्बाजान - जान
धोबिन - इन
अकड़ता - ता
संवेदनशील - शील
प्रतिबिंब - प्रति
अभागिन - अ
दोपहर - दो
अनगिनत - अन
बेसमझ - बे
परलोक - पर
सभ्दाव - सद
परलोक सिधारना = मृत्यु प्राप्त होना
भेट हो जाना = अर्पित होना
धावा बोलना = आक्रमण करना
चकनाचूर होना = टुकड़े - टुकड़े होना
कलेजा मजबूत करना = सहस करना, हिम्मत करना
अफ़सोस करना = पछताना, पश्चात्ताप करना
मौन रहना = शांत रहना
मोल लेना = खरीदना
दिल कचोटना = बहुत दुःखी होना
गदगद होना = बहुत प्रसन्न होना, बहुत खुश होना
1)ईद के दिन का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए|
ज. ईद मुसलमाओं का पवित्र त्यौहार है| अनेक कठिन नियमों का पालम करके मुसलमा लोग रमजान महीने भर तीस रोज हैं| आज ईद आयी है| आज का सूर्योदय बहुत मनोहर और सुखदायी है| प्रकृति के पेड़ - पौंधे सब हरियाली से भरे ख़ुशी से झूम रहे हैं| खित्तों में सुनहरा रोशन है| आकाश में भी विचित्र लालिमा फैली है| सूरज भी बहुत प्यारा और शीतल है| ऐसा लगता है की स्वयं सूरज भी ईद की शुभकामनाएँ दे रहा है| सारा वातावरण सुखदायक और मनमोहक है|
2)हामिद गरीब है फिर भी वह ईद के दिन अन्य लड़कों से अधिक प्रसन्न है, क्यों ?
ज. भोली सुरतवाला हामिद चार - पाँच साल का दुबला - पतला लड़का है| उसके माँ - बाप दोनों बीमार हो, चल बेस थे| हामिद तो अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लालन - पालन में है| उसके पाँव में जूते नहीं है| सिर पर गोटा काला पड़ा पुराणी टोपी है| हामिद यही आशा में है की उसके बाप रुपये कमाने गए हैं और माँ अल्लाह के यहाँ से उसके लिए अच्छी चीजें लाने गयी है| आशा तो बही चीज और प्यारी होती है| इसी आशा से हामिद बहुत प्रसन्न है|
3)हामिद की ख़ुशी का कारन क्या हो?
ज. हामिद अपने दादी के लिए चिमटा लेने का खेला करता है| क्योंकि जब दादी तवे से रोटियाँ उतारती है तो हाथ जल जाते हैं| अगर चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह प्रसन्न होगी| हजारों दुआएँ देती रहेंगी| उनके हाथ कभी नहीं जलेंगे| फिर पड़ोस की औरतों को दिखाएगी| सारे गाँव में चर्चा होने लगेगी की हामिद कितना अच्छा लड़का है| यही सोच हामिद की ख़ुशी का कारण है|
4)हामिद चिमटा क्यों खरीदना चाहता था?
ज. हामिद की दादी के पास चिमटा नहीं है| जब तवे से रोटियाँ उतारती थी तो हाथ जल जाते थे| अगर वह चिमटा खरीद ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी, उनकी उंगलियां भी नहीं जलेगी| उसकी प्रशंसा करके उसे आशीष देगी| ऐसा सोचकर हामिद चिमटा खरीदना चाहता था|
5)हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों के प्रति दादी अम्मा की भावनाएँ कैसी थी|
ज. अपनी दादी अम्मा के प्रति प्रेम और आदर भाव रखनेवाले हामिद उसकी तकलीफ दूर करने चिमटा खरीद लाया| इसे खरीदने के लिए उसने अपनी आशा और आवश्यकता को भी छोड़ दिया| पोते का यह प्यार देखकर दादी अम्मा गदगद है गयी| उसके सोचा की मेरे इस छोटो बच्चे में कितना - त्याग कितना सद्भाव और कितना विवेक है| दुसरो को खिलौने लेते और मिठाई कहते देखकर इसका मन कितना ललचाया होगा? इस नादान बच्चे को मुझे पर कितना प्रेम और कितना स्नेह है| इस तरह भावनाएँ थी दादी अम्मा में|
1)"ईदगाह" कहानी के कहानीकार कौन हैं? इनकी रचनाओं की विशेषता क्या है?
ज. "ईदगाह" आदर्शयुक्त, प्रभावशाली कहानी है| आधुनिक हिंदी के सपल कहानीकार, उपन्यास सम्राट "मुंशी प्रेमचंद" जी इसके लेखक हैं| ये आदशनमुख यथार्थवादी कहानीकार हैं| इन्होने लगभग 300 कहानियां लिखी हैं| इनकी रचनाओं में खासकर भारत के ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण, नैतिक मूल्यों का स्पष्टीकरण आदि का महत्त्व ही अधिक दिखाई पडता है| इनकी कला में कृत्रिमता नहीं है| जीवन के तथ्यों को सुलझे हुए शब्दों में सुत्ति रूप से रखने में सिद्धहस्त हैं| निम्न कोटि के लोगों में मानवता के दर्शन करने में आप सफल हुए हैं| अनेक सामाजिक समस्याओं के ऊपर प्रकाश डाला है| आपकी भाषा चलती हुयी मुहावरेदार हिंदी है|
2)बालक प्रायः अलग स्वाभाव के होते हैं| कहानी के आधार पर बताइए की हामिद का स्वाभाव कैसा है|
ज. बालक प्रायः विभिन्न स्वाभाव के होते हैं| यह बात तो मणि है और सच भी है| जन्मतः कोई बच्चा बुरा स्वभाववाला नहीं होती है| वैसे ही बच्चे में जन्मसिध्द गुणों का प्रभाव भी रहता है| कहानी के आधार पर हामिद का स्वाभाव एक दम अच्छा और उत्तम था| अपने लिए नहीं, अपने के लिए सोचना और जो मिले, उसीसे संतृष्ट रहने का महान स्वाभाव वाला बालक था हामिद|
आ) हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए|
1.हामिद के पास पचास पैसे थे | (नहीं)
2.अमीना हामिद की मौसी थी | (नहीं)
3.मोहसिन भिरती खरीदता है| (हाँ)
4.हामिद खिलौने खरीदता है| (नहीं)
इ) रिस्क स्थानों की पूर्ति कीजिए|
1.अमीना का क्रोध तुरंग स्नेह में बदल गया|
2.कीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया|
3.हामिद चिमटा लाया|
4.महमूद के पास बारह पैसे थे|
ई) अनुच्छेद पढ़कर दो प्रश्न बनाइए|
ज. माता - पिता की सेवा में कौन तत्पर था?
रेखांकित शब्द का संधि विच्छेद कीजिए |
अ) हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों?
ज. अपने लिए नहीं, अपनों के लिए सोचने का महँ स्वाभाव था हामिद का | ऐसे ही गन से उसने अपनी दादी का कष्ट दूर करने चिमटा खरीद लिया|
मेरा भी हामिद के जैसा स्वाभाव ही है| मैं भी अपने लिए नहीं, अपनों को सुख व आनंद पहुँचानेवाला हूँ| इसलिए मेरे पास जितना धन है, उसके माता - पिता, भाई - बहन और बुजुर्ग़े के लिए आवश्यक जो चीजे हैं उनके खरीदकर उनको देता हूँ| उनको सुखी रखना ही मेरा मुख्य आशय है|
आ) 'ईदगाह' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए|
ज. "ईदगाह" नमक इस कहानी का लेखक हिंदी के उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद हैं| आप की यह कहानी आदर्शयुक्त, यथार्थवादी भावनाओं से भरपूर है| इस कहानी के जरिये लेखक ने मानव जीवन में नैतिक मूल्यों का विकास और बड़े बुजुर्ग़े के प्रति आदर भावना रखने की बात पर जोर दिया है| भारतीय संस्कृति की महानता का सखीभुत है ेड़गाह कहानी|
पवित्र रमजान मसोमके तीस रोजों के बाद आज "ईद" आयी है| सारा वातावरण सुन्दर और सुखदायी है| ईदगाह जाने की तैयारिया होने लगी हैं| खासकर बच्चे बहुत प्रसन्न हैं| सबको पैसे मिले हैं| वे मन चाही चीजें खरीद लेने की ख़ुशी में हैं| इन लड़कों में चार - पाँच साल का, भोली सूरत का, दुबला - पतला हामिद भी है| उसके माँ - बाद दोनों बीमारी के कारण मर गये थे| बूढी दादी अमीना, हामिद की देखभाल कर रही है|
हामिद तो ईद की खुशिया मना रहा है| उधर दादी अमीना अपनी गरीबी पर आँसू बहा रही है| घर में खाने कुछ नहीं है| लेकिन हामिद इन सबसे बेखबर है| अपनी दादी से वह कहता है की तुम डरना नहीं, मैं सबसे पहले आऊंगा| अमीना तो चिंतित है की सब बालक अपने पिता के साथ जा रहे हैं| यह लड़का तो अकेला है| हामिद भीड़ में कही खो गया तो क्या होगा ? तीन कोस का रास्ता है| जूते भी नहीं, हैं| पैरों में चले पद जायेंगे|
अमीना ने हामिद को मिठाईयाँ और खिलौने खरीदने तीन पैसे दिये| ग्रामीणों की टोली ईदगाह की और चल पडी| बच्चे सबसे आगे चल रहे हैं| शहर में प्रवेश करके बच्चे हर चीज को आश्चर्य से देखने लगे| ईदगाह आया| ईदगाह में कार्यक्रम पूरा हुआ| लोग एक दूसरे से गले मिलकर अपना प्रेम दिखा रहे हैं| बाद बच्चे गुखणं पर धावा बोल देते हैं| वे सब मनचाही चीजें खरीदकर आनंद मना रहे हैं| हामिद तो चुपचाप खड़ा सबको देखने लगा|
उसके मित्र महमूद, मोहसिन, नूर और सम्मी ने अपने मनपसंद खिलौने खरीद लिये| हामिद भी खिलौना खरीदना चाहता है| लेकिन उसके पास सिर्फ़ तीन पैसे हैं| इसके बाद सब मित्र मिठाईयाँ खरीदकर मजे से खाने लगे| हामिद तो अपने आप को रोके सब देखा रहा है| उसके मित्रों ने उसका मजाक भी उडाया पर वह तो मौन ही रहा|
रस्ते में लोहे की दुकानें दिखीयी पडी हैं| हामिद ने तीन पैसे में एक चिमटा खरीद लिया| क्योंकि उसकी दादी अमीना रोटी तवे से उतारती है तो उसकी उंगलियाँ जलने लाजी हैं| इसलिए दादी का कष्ट दूर करके उसे सुख पहुँचाने के ख्याल से चिमटा लिया| इसके लिये उसके मित्र मजाक भी उडाते हैं| घर पहुंचा गया तो दादी दौड़कर आयी और उसे प्यार करने लगी| हामिद के हाथ में चिमटा देखकर सर पीटने लगी| चिमटे के बारे में पूछ लिया तो हामिद ने कारण बताते कहा - तुम्हारे हाथ तवे से जल जा रहे हैं न इसलिए तुम्हारे लिए चिमटा ले आया| यह बात सुनकर अमीना पिघल गयी और उसका मन गदगद हो गया|
विशेषता : अपने सुख व ख़ुशी के लिए सोचना, साधारण बात है| अपने बुजुर्ग और बड़े लोगों का आदर करते, उनको सुख और आराम पहुँचाने का यत्न करना महँ कार्य है|
इ) हामिद और उसके मित्रों के बीच हुयी बातचीत की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए|
ज. रमजान के तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है| सारा वातावरण निराला है| ईदगाह जाने की तैयारियाँ होने लगी हैं| लड़के सबसे अधिक प्रसन्न हैं| हामिद, महमूद, मोहसिन, नूर, सम्मी आदि दोस्त हैं| महमूद के पास बारह पैसे हैं, मोहसिन के पास पंद्रह पैसे हैं, हामिद के पास तो सिर्फ़ तीन पैसे हैं| अन्य लड़कों की पास भी पैसे हैं| सब ईदगाह जाते हैं| वहाँ नमाज़ ख़त्म होने के बाद बाज़ार जाते हैं| मिठाई, खिलौनों की दुखानों पर धावा होता है| मित्र सभी बातचीत कर रहे हैं|
महमूद (पैसे गिनाते) (एक - दो .....दस - बारह पैसे|) मेरे पास बारह पैसे हैं| मैं मिठाईयाँ और खिलोने खरीदूँगा|
मोहसिन : (पैसे गिनकर) मेरे पास पंद्रह पैसे हैं| इनसे खिलौने, मिठाईयाँ, बिगुल, गेंद और कई चीजें खरीदूँगा|
महमूद और मोहसिन : (हामिद से) तुम्हारे पास कितने पैसे हैं?
हामिद : मेरे पास तीन पैसे हैं? (हामिद दूर में खडा खिलौनों को देख रहा है|)
महमूद : अरे मोहसिन तुम कौन सा खिलौना खरीदना चाहते हो?
मोहसिन : अरे महमूद यह देखो| भिस्ती सुन्दर है| मैं उसे लेता हूँ|
महमूद और अन्य मित्र : वाह! बहुत अच्छा है| ले लो|
मोहसिन : महमूद| तुम्हे कौनसा खिलौना पसंद है?
महमूद : देखो यहाँ के सब खिलौनों में वह सिपाई का खिलौना है| कैसा है ? मैं लेना चाहता हूँ|
मोहसिन : बहुत अच्छा है| ज़रूर ले लो| (महमूद सिपाही खरीदता है)
(महमूद, मोहसिन, दोनों नूर और सम्मी से पूछते हैं|)
महमूद : मोहसिन, यार नूरे, सम्मी आप दोनों क्या - क्या पसंद हैं? देखिए|
नूर : दोस्तों इन सब खिलौनों में मुझे यह देखो यह वकील का खिलौना पसंद आया| मैं इसे खरीदना चाहता हूँ| अरे सम्मी तुम क्या लोगे?
सम्मी : वैसे तो यहाँ सब तरह के खिलौने हैं| हाँ, मुझे तो यह धोवन पसंद आया है| आप सब भी देखिए|
सब : (देखकर) हाँ, हाँ बहुत सुंदर है| तुम इसे ले लो|
(सब अपने - अपने खिलौनों को चाव से देखनेवाले हामिद से पूछते है|)
सब : अरे हामिद| दूर क्यों खडा है तुमको कोई खिलौना पसंद नहीं आया क्या? हाँ भूल गये| तुम्हारे पास तो तीन ही पैसे हैं न| चलें| वहाँ मिठाईयों की दुकानें हैं| (सब वहाँ पहुंचते हैं|)
ई) बड़े - बुजुर्ग़े के प्रति आदर, श्रध्दा और स्नेह भावनाओं का महत्य अपने शब्दों में बताइए|
ज. छोटे बच्चे को अपने बड़े - बुजुर्ग़े के प्रति आदर, श्रध्दा और स्नेह भावना रखना चाहिए|
*अपने बड़े बुजुर्ग़े के बारे में सभी को बताना चाहिए|
*उनकी महानता का विवरण सभी को बताना चाहिए|
*कहानी, गाने, पघ आदि बडों से सुनकर सीखना चाहिए|
*बहार जाते समय वे साथ आने के लिए बुलाते हैं, तो उनके साथ जाना चाहिए|
*बडों के प्रति आदर रखते हुए उनसे प्रेम से बातें करना चाहिए|
*बड़ों की बातों का धिक्कार नहीं करना चाहिए|
*उन पर चिडचिडाहट नहीं दिखाना चाहिए| उनको समय के अनुसार दवाएँ देना चाहिए|
अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए|
1.ईद, प्रभात, वृक्ष (पर्याय शब्द लिखिए|)
ज.*ईद : त्यौहार, पर्व, उत्सव्
*प्रभात : प्रातः काल, सबेरा, सुबह
*वृक्ष : पेड़, तरु, पादप, दरख्त
2.मिठाई, चिमटा, सड़क (वचन बदलिए)
ज. मिठाई : मिठाईयाँ
चिमटा : चिमटे
सड़क : सडकें
आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए|
1.बेसमझ, सदभाव, निकर (उपसर्ग पहचानिए|)
ज. बेसमझ - बे
सदभाव - सत्
निकर - नि
2.दुखानदार, गरीबी (प्रत्यय पहचानिए|)
ज. दुकानदार - दार
गरीबी - ई
इ) इन्हें समजिये और अभ्यास कीजिए|
1.हामिद ने कहा कि घर की देखरेख दादी ने की|
ज.
ई) पाठ में आये मुहावरे पहचानिए और अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग कीजिए|
*भेंट हो जाना - अर्पित होना
मीरभाई ने अपने आप को कृष्ण को अर्पित किया|
*पीली पड़जाना - कांतिहीन होना
नींद के की से चेहरा कांतिहीन हो जथा है|
*दिल कचोटने - दुःखी होना
रिश्तेदार के मर जाने पर हमें दुःख होता है|
*ख़त्म हो जाना - समाप्त होना
नियम का पालन न करने से परिश्रम समाप्त हो जाता है|
*गले मिलना - आलिंगन करना
ईद के दिन मुस्लमान भाई आलिंगन करके मुबारक बात देते हैं|
*चकना चूर हो जाना - बुरी तरह नाश होना
राम का भाई व्यापर में बुरी तरह से नाश हो गया|
*दिल बैठ जाना - अधीर होना
*कलेजा मजबूत - अर्थ वार्षिक परीक्षा में सही अंक न मिलने पर मैं अधीर हो गया|
*करके कहना - दृढता से कहना \ होना
म्हणत का काम होने पर भी हमें दृढता से बच्चों को करने के लिए कहना चाहिए| उन्हें हौसला देना चाहिए|
*छाती पीटलेना - दुःखी होना
किसी काम के असफल होने पर हमें दुःखी होना नहीं चाहिए| फिर से प्रयत्न करना चाहिए|
*मन गदगद हो जाना - पुलकित होना
बिना किसी खबर के मेरे पापा के आगमन से मेरा मन पुलकित हो उठा|
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