Home SSC 10th Class हिंदी ( क्लास - X )

1.बरसते बादल

बरसते बादल

प्रशन

1)मीटे गीत कौन गाती है ?

ज. मीटे गीत कोयल गाती है |

2)कोयल किसके लिए पानी माँगती है ?

ज. कोयल धरती का प्यास मिटाने के लिए पानी माँगती है |

3)बदल प्रकृति की शोभा कैसे बढ़ाते है ?

ज.आकाश में पैले बादलों से पानी बरसता है | पानी से प्रकृति को नया जीवन मिलता है और प्रकृति का कण - कण पुलकित होता है | चारों ओर हरियाली पैलती है | तालाब, झील, नदियाँ, सर सब पानी से भर जाते हैं | सारी प्रकृति सुखदायी प्रेरणा और शक्ति भारती है | इस तरह बादलों से प्रकृति की शोभा बढती है I 

कवी परिचय

प्रकृति के बेजोड़ कवी माने जाने वाले सुमित्रानंदन पंत का जन्म सनू 1900 में अल्मोड़ा में हुआ| साहत्य लेखन के लिए इन्हें ' साहित्य अकादमी ' , ' सेवियत रूस ' और ' गणान्पित पुरस्कार ' दिया गया| इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं - वीणा, ग्रंथि, पल्लव, गुंजन, युगांत, ग्राम्या, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद तथा चिदंबरा काव्य के लिए गणनपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया| इनका निधन सनू 1977 में हुआ|

व्याकरणांश

पर्यायवाची शब्द

मेघ - घन, बादल, नभ

सावन - वर्ष, श्रावण, बरसात, बारिश

बूँद - बिंदु, कतरा, टोप

तरु -  पेड़, वृक्ष, पादप, विटप, द्रुम

बिजली - विघुत , चपला , दामिनी , तड़ित ,बीजुरी

चमक - प्रकाश, ज्योति, रोशनी, आभा

उर - हदय , मन , चित , छाती , अंतःकरण, अंतर

थम - रुक ,ठहर

तम - अंधकार, अंधेरा, कालिमा, कालिख, तिमिर

दिन  - दिवस, रोज़, तिथि

सपना - स्वपना, ख्वाब, निद्रा, नीद

जागना - जागृत, जागना, सचेत होना

मन - अंतःकरण, इच्छा, अंतर, चित

घन - मेघ , बादल, जलधर, वारिद

गगन - आकाश, आसमान, अंबर, व्योम, अनंत, शून्य

अंतर - हदय, मन, चित

धरती - धरा, पृथ्वी, भूमि, अवनि, ज़मीन

रज - धूल, बालू , रेत

वारि - जल, पानी, नीर

जन - लोग, मनुष्य, प्रजा

रोम - बल, केश, रोआँ

जीवन - जिंदगी, प्राण, मज्जा

विलोम शब्द

सुख X  दुःख

प्रिय X अप्रिय

मनुज X  दनुज 

कृषि X नाखुशी

प्रस्तुत X अप्रस्तुत

ताम X ज्योति

 सुन्दर X असुंदर

लायक X नालायक

आर्द  X शुष्क

पुनरुक्त शब्द

झम - झम

थम - थम

पीउ - पीउ

फिर - फिर

छम - छम

टर - टर

कण - कण

रिमझिम - रिमझिम

चम - चम

म्यव - म्यव 

पेड़ - पादप

समास

सोनबालक    बालक जैसी आवांज करने वाला सुनहरा पक्षी     बहुव्रीहि समास

इंद्रधनुष   इंद्रा का धनुष     तत्पुरुष समास

तत्सम शब्द

सावन - श्रावण

सुंदरता - सौंदर्याता

सपना - स्वपन

वृक्ष - विटप

सूरज - सूर्य

पेड़ - पादप

तदूभव शब्द

गण - गन

वारि - जल

चंद्र - चाँद

शब्दार्थ - भावार्थ

1.झम - झम - झम - झम मेघ बरसते हैं सावन के,

छम - छम - छम गिरती बुँदे तरुओं से छन के |

चम - चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,

थम - थम दिन के तम में सपने जागते मन के ||

शब्दार्थ

झम - झम = बहुत ध्वनि करना,

मेघ = बादल

बरसना = वर्षित होना

सावन = श्रावण मास

छम - छम =पानी की बुँदे गिरने से आनेवाली ध्वनि

गिरना = नीचे पड़ना

बूँद =

तरु = पेड

छन के = तप करता हुआ

चम - चम =

बिजली = चमक

चमकना = प्रकाशित होना

उर = दिल

घन = मेघ

थम - थम = रुक - रुक कर

तम = अंधेरा

सपना = स्वप्न

जगना =

भावार्थ : सावन के बदल झम - झम बरसते हैं | पेडों से छानकर  बुँदे छम - छम करके धरती पर गिरती हैं | बादलों के ह्रदय में बिजली चमकती है | तब दिन में भी अंधकार छा जाता है| मन में अनेक प्रकार के सपने जगने लगते हैं|

2.दादुर टर - टर करते झिल्ली बजती झन - झन,

' म्यव - म्यव ' रे मोर 'पीउ' 'पीउ' चातक के गण|

उड़ते सोनबालक, आर्द - सुख से कर क्रंदन,

घुमड़ - घुमड़ गिर मेघ गगन में भरते गर्जन|

शब्दार्थ

दादुर = मेढ़क

टर - टर = मेढ़क से की जानेवाली आवाज़

झिल्ली = झींगुर

झन - झन = बाजा बजने की ध्वनि

म्यव - म्यव = मयूर

पीउ - पीउ =

चातक = एक पक्षी का नाम

सोनबालक =

आर्द =

क्रंदन = रोना

घुमड़ - घुमड़ = पूरी तरह से छाया हुआ

भावार्थ : वर्ष के होने पर मेढ़क टरॉते हैं | झींगुर झी - झी करते हैं| मोर म्यव- म्यव करते हैं | चातक पक्षी पिउ - पिउ की आवांज करते हैं| जल पक्षी उड़ते गीली सुख से क्रंदन करते हैं| आसमान में घुमड़ - घुमड़ कर बादल गरजते हैं|

3.रिमझुम - रिमझुम क्या कुछ कहते बुँदे के स्वर,

रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अंतर|

धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर,

राज के कण - कण में तृण - तृण को पुलकावलि थर|  

शब्दार्थ

रिमझुम = फुहार

बुँदे = छींटे

रोम = बाल

सिहरन = कांफ्ना       

छूना =

भीतर = अंदर

अंतर = दिल

धारा = प्रवाह

झरना = बहना

धरती = भूमि

राज = धूलि

तृण = घास

पुलकावलि = रोमांचित होना

थर = झूलना

भावार्थ : वर्ष की बुँदे रिमझिम करते बरसाती हैं| उनके स्पर्श से रोम - रोम सिहर उठते हैं| अर्थातू रोमांच होता है| धरती पर वर्ष की धाराएँ बहती हैं, मिटटी के कण - कण से कोमल तृण उत्पर हो प्रसन्नता से झूमते हैं|      

4.पकड़ वारि की धार झूलता है मेरा मन,

आओ रे सब मुझे घेर कर गाओ सावन |

इंद्रधनुष के झूलें में झूलें मिल सब जन,

फिर - फिर आओ जीवन में सावन मनभावन ||

शब्दार्थ

पकड़ = गिरफ़्तार   

वारि = पानी

धार = प्रवाह

झूलता = हिलना

घेरना = लिपटकर

झूला =

मनभावन = मनोरथ

भावार्थ : पानी की धारा देखकर कवी का मन झूलने लगता है| अर्थातु मन खुश होता है| सबको आमत्रित करते हुए वे कहते हैं की आप सभी लोग आइए| मुझे घेरकर सावन के गीत गाइए| हमारी कामना है की इंद्रधनुष के झूलें में हम सब झूलें | ऐसा मनभावन सावन हमारे जीवन में बार - बार आये | यही हमारी कामना है|

प्रश्न

1)मेघ बिजली और बूंदो का वर्णन यहाँ कैसे किया गया हो?

ज. "बरसते बादल" कविता में सावन के प्राकृतिक सौंदर्य का सुन्दर चित्रण किया हो| सावन के समय आकाश में काले घनघोर बादल छाये रहते हैं| वे झूम - झूम बरसते हैं| काले बादलों के ह्रदय में बिजली चमकती है| वर्ष की बुँदे छम - छम धरती पर गिरती हैं| इनके स्पर्श से मन पुलकित होता है| धरती पर वर्ष की धाराएं बहती हैं| साड़ी प्रकृति मनमोहक दिखती है|

2)प्रकृति की कौन - कौन सी चीजों मन को छू लेती हैं|

ज. वर्ष के समय की प्रकृति शोभा निराली होती है| इस समय के काले - काले बादल, वर्ष की बुँदे, चमकनेवाली बिजली, बहती जल धाराएं, पेड़ - पौधे आदि प्रकृति की चीज़ें मन को छू लेती हैं|

अर्थग्राहयता - प्रतिक्रिया

अ) घने बादलों का वर्णन अपने शब्दों में किजिए|

ज. सावन के समय आसमान में घने काले बादल छाये रहते हैं| वे भयानक रूप से घूमते रहते हैं| विविधा आकृतियों में रहकर वे गर्जन करते रहते हैं| रह - रहकर उनके बीच बिजली चमक उठती है| काले घने बादलों को देखकर सब प्राणी खुश हो जाते हैं| दादुर टर्राते हैं| मोर कूकते हैं| चटक शोर मचाते हैं| शीतली पवन के छूटे ही बादल पड़ते हैं| मूसलधार वर्ष होती है| धरती भी पुलकित होती है| प्रकृति का कण - कण प्रसन्न दिखने लगता है| बच्चे हर्षेल्लास से झूमते हैं|

आ) वाक्य उचित क्रम में लिखिए|

1)हैं झूम - झूम बरसते झूम - झूम मेघ के सावन|

ज. झूम - झूम - झूम -झूम मेघ बरसते हैं सावन के|

2)गगन में गर्जन घुमड़ - घुमड़ गिर भरते मेघ|

ज. घुमड़ - घुमड़ गिर मेघ गगन में भरते गर्जन|

3)धरती पर झरती धाराएं पर धाराओं|

ज. धाराओं पर धाराओं झरती धरती पर|

इ) नीचे दिए गए भाव की पंक्तियाँ लिखिए|

1)बादलों के घोर अंधकार के बिच बिजली चमक रही है और मन दिन में ही सपने देखने लगा है|

ज. चम - चम बिजली चमक रही रे उर में गहन के|

2)कवी चाहता है की जीवन में सावन बार - बार आयें और सब मिलकर झूलों में झूलें|

ज. इंद्रधनुष के झूले में झूलें मिल सब जन,

फिर - फिर आये जीवन में सावन मनभावन||

ई) पद्यांश पढ़कर प्रशनों के उत्तर दीजिए| 

बंद किये है बादल ने अंबर के दरवाजे सारे,

नहीं नजर आता है सूरज न कही चाँद - सितारे|

ऐसा मौसम देखकर, चिड़ियों ने भी पंख पसारे,

हो प्रसन्न धरती के वासी, नभ की और निहारे||

प्रशन

किसके अंबर के दरवाजे बंद कर दिए हैं?

उ. बादल ने अंबर के दरवाजे बंद कर दिए हैं|

इस कविता का विषय क्या है?

उ. इस कविता का विषय प्रकृति है|

अभिव्यखक्ति - सृजनात्मकता

अ) वर्ष सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है| कैसे?

ज. धरती पर स्थित प्राणी मात्र के जीने के लिए पानी अत्यंत आवश्यक है| बिना पानी के कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता| ऐसा अमूल्य पानी वर्ष से ही मिलता है| मानव और अन्य प्राणियों को पेय जल मिलता | खाघान्न उत्पन्न करने, जलचरों को जीने, पेड़ - पौधों के जीवन रहने, पर्यावरण का संतुलन बनाये रहने पानी ही एक मात्र आधार है| इसलिए यह कथन उचित ही है की वर्ष सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है|

आ) 'बरसते बादल' कविता में प्रकृति का सुन्दर चित्रण है| उसे अपने शब्दों में लिखिए|

ज. 'बरसते बादल' कविता के कवी श्री सुमित्रानंदन पंथ जी है| प्रकृति सौंदर्य के वर्णन में आप बेजोड़ कवी माने जाते हैं| इस कविता में पंतजी ने सावन का सुन्दर वर्णन क्या है|

सावन के बादल झूम - झूम बरसते हैं| पेड़ों से छनकर बुँदे छम - छम करके धरती पर गिरती हैं| बादलों के हृदय में बिजली चमकती है| तब दिन में भी अंधकार छा जाता है| मन में अनेक प्रकार के सपने जागने लगते हैं|

वर्ष के होने पर मेंढक टर्राती हैं| झींगुर झूम - झूम करते हैं| मोर मयाव - मयाव - मयाव करते हैं| चटक पक्षी पिऊ - पिऊ की आवाज करते हैं| जल पक्षी उड़ते गीली सुख से क्रंदन करते हैं| आसमान में घुमड़ - घुमड़  कर बादल गरजतें हैं|

वर्ष की बुँदे रिमझुम करते बरसाती हैं| उनके स्पर्श से रोम - रोम सिहर उठते हैं| आर्थातू रोमांचित होता है| मन प्रपुल्लित होता है| धरती पर वर्ष की धाराएँ बहती हैं, मिट्टि के कण - कण से कोमल तृण उत्पन्न हो प्रसन्नता से झूमते हैं|

इ) प्रकृति सौंदर्य पर एक छोटी - सी कविता लिखिए|

ज. मेरे घर के पास लगा हो,

पेड़ नीम का हरा- भरा|

उसकी डालें झुक - झुक छूती

मेरे रहने का कमरा|

अभी - अभी निकली फुनगी में ,

 नयी - नयी प्यारी कोपल

ला, बैंगनी रंग देखकर,

मेरे मन बनता शीतल|

रोज सबेरे चिड़िया आकर

इस में शोर मचाती हैं,

 

तरह - तरह के गाने गाकर

मेरा दिल बहलाती हैं|

वैसे भी मैं रोज़ बैठता

इसकी छटा के नीचे|

खेला करता आँख मिचौनी

कभी - कभी आँखे मींचे|

नीम न होती अगर सामने

तो घर उजड़ा दिखलाता,

हरियाली के बिना हमारा

दिल न ओम हरा रह पाता|

 

ई) 'फिर - फिर आये जीवन में सावन मनभावन' ऐसा क्यों कहा गया होगा? स्पस्ट कीजिये|

ज. कवी चाहते हैं की जीवन में सावन बार - बार ए और सब मिलकर झूलों में झूलें| क्योंकि वर्ष ऋतु हमेशा सबकी प्रिय ऋतु रही है| वर्ष के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है| पेड़ - पौंधे, पशु - पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक की धरती भी ख़ुशी से झूम उठती हैं|

वर्ष की धाराओं के कारन मिटटी के कण - कण से कोमल अंकुर फुट कर तरुण बन जाते हैं| उस वर्ष के पानी को पाकर सभी का मन झूलने लगता है| कवी कहते हैं की इंद्रधनुष को झूला बनाकर हम सब मिलकर आकाश में झूलना चाहते हैं| ऐसी सुन्दर - सुन्दर घटनाओं के कारन से कवि फिर - फिर वर्ष ऋतु  का आगमन करना चाहते हैं|

भाषा की बात

अ) तरु, गगन, घन (पर्याय शब्द लिखिए)

ज.* तरु - पेड़, वृक्ष, पादप, विटप, दरख्त

*गगन - आकाश, नभ, अम्बर, असमंम, व्योम

*घन - मेघ, बादल, जल्द, नीरद, अभ्र

आ) मेघ, तरु (वाक्य प्रयोग कीजिए|)

*मेघ - वर्ष होने से पहले आकाश में नीले मेघ छा जाते हैं|

*तरु - तरुओं से प्राणवायु ऑक्सीजन मिलता है और ये पर्यावरण में संतुलन बनाये रखते हैं|

इ) इन्हें समझिये और सुजाना के अनुसार कीजिए|

1.बादल बरसते हैं|(रेखांकित शब्द का पद परिचय दीजिए|)

ज. बादल - संज्ञा, जातिवाचक, अन्य, पुंलिंग, बहुवचन, बरसते हैं क्रिया का कर्ता|

2.पेड़ - पौंदे, पशु - पक्षी (समास पहचानिए)

ज. पेड़ - पौंदे = पेड़ और पौंदे = द्वंद्व समास

 पशु - पक्षी = पशु और पक्षी = द्वंद्व समास

ई) शब्द - संक्षेप लिखिए|

1.मन को भानेवाला ज. मनभावन

2.मन को मोहने वाला ज. मनमोहक